हरिद्वार। छठे प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर पतंजलि विश्वविद्यालय, केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरवाईएन), नई दिल्ली तथा एनआईएन पुणे पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने जा रहे हैं। सम्मेलन के पूर्व पतंजलि विश्वविद्यालय में अनुसंधान आधारित एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई।
इस अवसर पर बीएनवायएस के संकायाध्यक्ष डॉ. तोरण सिंह ने कहा कि मनुष्य ही एकमात्र प्राणी है जो अपने पर्यावरण, प्रकृति तथा प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति जागरूक एवं जिज्ञासु है। मनुष्य ने अपनी तर्क शक्ति, चिन्तन व अनुसंधान के बल पर प्राकृतिक चिकित्सा को अग्रणी बनाया। वह निरन्तर प्राकृतिक संसाधनों पर गहन अनुसंधान करता रहा और प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में एक श्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति स्थापित की।
कार्याशाला में सर्वप्रथम डॉ. शैफाली गौड़ ने उपस्थित प्रतिभागियों से अनुसंधानपरक प्रश्न पूछे और उनका समाधान किया। साथ ही उन्होंने अनुसंधान पद्धति पर अपने विचार साझा किए। डॉ. गगनदीप ने साहित्य अनुसंधान तथा डॉ. आस्था अग्रवाल ने डॉटा संग्रह और इसके संसाधनों पर व्याख्यान दिया। डॉ. इशिता गुप्ता ने अध्ययन की रूपरेखा का परिचय दिया।
सायंकालीन सत्र में डॉ. डिम्पल कोंडल ने जैव सांख्यिकी (बॉयोस्टेटिक्स) का परिचय विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। डॉ. चन्द्रशेकरन ने अनुसंधान के चरणबद्ध निर्देश साझा किए। डॉ. मंजूनाथ शर्मा ने योग अनुसंधान पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
कार्यशाला में पतंजलि विश्वविद्यालय तथा आगंतुक छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, शोधकर्ताओं, व्यवसायी और शिक्षाविदों ने ज्ञान गंगा के अविरल प्रवाह का भरपूर लाभ लिया तथा अनुसंधान के क्षेत्र में गूढ़ रहस्यों को जाना।
कार्यशाला में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक उपाध्यक्ष डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, स्वामी आनंददेव, पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल के दंत चिकित्सा एवं अनुसंधान केन्द्र के विभाग प्रमुख डॉ. कुलदीप सिंह तथा पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएँ, शिक्षकगण, शोधार्थी, आगन्तुक अतिथिगण उपस्थित रहे। डॉ. तोरण सिंह ने आगन्तुक अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

भूपेंद्र कुमार

By भूपेंद्र कुमार

प्रधान संपादक

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