हरिद्वार। सिक्ख धर्म के चौथे गुरु गुरु रामदास का प्रकाश पर्व प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी कनखल स्थित निर्मल संतपुरा आश्रम में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर आश्रम के परमाध्यक्ष संत जगजीत सिंह शास्त्री ने गुरु रामदास की जीवनी के बारे में बताकर बताया। उन्होंने कहा कि गुरु रामदास बहुत ही ज्ञानी थे और उन्होंने अन्धविश्वास, वर्ण व्यवस्था आदि कुरीतियों का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने चक रामदास की नींव रखी जो बाद में अमृतसर कहलाया। जहां आज लाखों की संख्या में श्रद्धालु माथा टेकने जाते हैं। उनके द्वारा आनंद कारज के लिए चार लावों (फेरों) की रचना की गई। उनका बचपन बहुत ही परेशानियों से गुजरा। गुरु अमरदास से मिलने पर उन्होंने भक्ति का मार्ग चुना और गुरु अमरदास ने उन्हें अपना शिष्य बनाकर बाद में गुरु गद्दी सौंपी। संत जगजीत सिंह शास्त्री ने बताया कि गुरु रामदास प्रकाश पर्व पर आश्रम में रहरास साहिब का पाठ और शबद कीर्तन का आयोजन किया गया। जिसमे गुरुद्वारा सिंह सभा के हजूरी रागी जत्था भाई राजेंद्र सिंह, भाई देशराज सिंह और भाई हुकम सिंह ने शबद कीर्तन से श्रद्धालुओं को निहाल किया। उन्होंने बताया कि गुरु नानक देव के प्रकाशोत्सव की तैयारिया चल रही हैं और जल्द ही प्रभात फेरी शुरू की जाएगी। इस अवसर पर संत मंजीत सिंह, संत त्रिलोचन सिंह, संत बलजिंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, चेतन शर्मा, महेश, लखविंदर सिंह, रंजीत सिंह, सतविंदर कौर, जसविंदर कौर आदि उपस्थित थे।

भूपेंद्र कुमार

By भूपेंद्र कुमार

प्रधान संपादक

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